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सेठी ने बार-बार कहा है कि अगर टूर्नामेंट का आयोजन पाकिस्तान की जगह तटस्थ देश में होता है तो वह प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेगा और सूत्र ने कहा कि पीसीबी एशिया कप का बहिष्कार कर सकता है। Fun88 Best Online Casino India, chandrapur: महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में 13 साल के एक किशोर ने क्रिकेट खेलने को लेकर हुए विवाद के बाद एक नाबालिग की कथित तौर पर हत्या कर दी। एक पुलिस अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि घटना 3 जून को हुई, जब आरोपी ने कथित रूप से पीड़ित के सिर पर बैट से वार कर दिया जिसके बाद अस्पताल में इलाज के दौरान 5 जून को उसकी मौत हो गई। नगर पुलिस थाने के एक अधिकारी ने कहा कि नाबालिग के परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराए बिना उसके शव को दफना दिया। उन्होंने बताया कि मृतक की मां ने मंगलवार को पुलिस से संपर्क किया जिसके बाद मामले की जांच के लिए बुधवार को शव को कब्र से बाहर निकाला गया। अधिकारी के मुताबिक चंद्रपुर के बागड खिड़की में कुछ लड़के 3 जून को एक मैदान में क्रिकेट खेल रहे थे। उन्होंने बताया कि खेल के दौरान पीड़ित का अन्य लड़कों से विवाद हो गया जिसके बाद आरोपी ने कथित रूप से बैट से उसके सिर पर वार कर दिया था। अधिकारी के अनुसार बैट के वार से पीड़ित जमीन पर गिर गया। उसे तुरंत जिला सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां 5 जून को इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। अधिकारी के मुताबिक मृतक के रिश्तेदारों ने पुलिस में शिकायत किए बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया। हालांकि उसकी मां ने मंगलवार को पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि पुलिस ने बाद में मामले में जांच के लिए शव को कब्र से निकाला। अधिकारी ने बताया कि आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि आरोपी किशोर को अभी हिरासत में नहीं लिया गया है।(भाषा) Edited by: Ravindra Gupta

इस एकादशी व्रत के प्रभाव से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। योगिनी एकादशी से जुड़ी मान्यता के अनुसार इस दिन स्नान के लिए मिट्टी (धरती माता की रज) का इस्तेमाल करना अतिशुभ होता है। साथ ही स्नान के पूर्व तिल के उबटन को शरीर पर लगाकर फिर स्नान करने की मान्यता है। बता दें कि एकादशी तिथि पर भगवान श्री विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है। योगिनी एकादशी : 14 जून 2023, बुधवार के शुभ मुहूर्त : Yogini Ekadashi Muhurat 2023 आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ- 13 जून, मंगलवार को 09.28 ए एम से, एकादशी की समाप्ति- 14 जून 2023, बुधवार 08.48 ए एम पर। योगिनी एकादशी पारण समय- पारण/ व्रत तोड़ने का समय- गुरुवार 15 जून 2023, 05:23 ए एम से 08:10 ए एम तक। पारण तिथि के दिन द्वादशी समापन का समय- 08:32 ए एम पर। 14 जून, बुधवार - दिन का चौघड़िया लाभ- 05.23 ए एम से 07.07 ए एम अमृत- 07.07 ए एम से 08.52 ए एम शुभ- 10.37 ए एम से 12.21 पी एम चर- 03.51 पी एम से 05.35 पी एम लाभ- 05.35 पी एम से 07.20 पी एम रात का चौघड़िया शुभ- 08.35 पी एम से 09.51 पी एम अमृत- 09.51 पी एम से 11.06 पी एम चर- 11.06 पी एम से 15 जून को 12.21 ए एम, लाभ- 02.52 ए एम से 15 जून को 04.08 ए एम तक। पूजा विधि- Yogini Ekadashi Puja Vidhi 1. योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छे धुले हुए वस्त्र धारण करके व्रत शुरू करने का संकल्प लें। 2. तत्पश्चात पूजन के लिए मिट्टी का कलश स्थापित करें। 3. उस कलश में पानी, अक्षत और मुद्रा रखकर उसके ऊपर एक दीया रखें तथा उसमें चावल डालें। 4. अब उस दीये पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। पीतल की प्रतिमा हो तो अतिउत्तम माना जाता है। 5. प्रतिमा को रोली अथवा सिंदूर का टीका लगाकर अक्षत चढ़ाएं। 6. उसके बाद कलश के सामने शुद्ध देशी घी का दीप प्रज्वलित करें। 7. अब तुलसी के पत्ते और पुष्प चढ़ाएं। 8. तत्पश्चात ऋतु फल का प्रसाद चढ़ाकर भगवान श्रीहरि का विधि-विधान से पूजन करें। 9. फिर एकादशी की कथा का पढ़ें अथवा श्रवण करें। 10. अंत में श्री विष्‍णु जी की आरती करें। व्रत कथा-Yogini Ekadashi Katha इस एकादशी व्रत की पौराणिक कथा (Yogini Ekadashi 2023 Katha) के अनुसार स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा। इधर राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसे बुलाया। हेम माली राजा के भय से कांपता हुआ उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- ‘अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर श्री शिव जी महाराज का अनादर किया है, इसलिए मैं तुझे शाप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।’ कुबेर के शाप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। भूतल पर आते ही उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में आकर माली ने महान दु:ख भोगे, भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के भटकता रहा। रात्रि को निद्रा भी नहीं आती थी, परंतु शिव जी की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान अवश्य रहा। एक दिन घूमते-घूमते वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया, जो ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे और जिनका आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान लगता था। हेम माली वहां जाकर उनके पैरों में पड़ गया। उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौनसा पाप किया है, जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई। हेम माली ने सारा वृत्तांत कह सुनाया। यह सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूं। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएंगे। यह सुनकर हेम माली ने अत्यंत प्रसन्न होकर मुनि को साष्टांग प्रणाम किया। मुनि ने उसे स्नेह के साथ उठाया। हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी (Yogini) का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से हेम माली अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी पत्नी के साथ सुखपूर्वक रहने लगा। इस योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है तथा इसके व्रत से समस्त पाप दूर होकर अंत में स्वर्ग प्राप्त होता है। ऐसी इस एकादशी की महिमा है। योगिनी एकादशी के उपाय : Yogini Ekadashi Upay 1. पीपल में जल अर्पित करें : इस दिन कर्ज से मुक्ति के लिए पीपल वृक्ष में जल अर्पित करके उसकी विधिवत पूजा करें। 2. लक्ष्मी प्राप्ति : इस दिन धन-धान्य तथा लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए घर में भगवान श्री विष्णु तथा माता लक्ष्मी का केसर मिले जल से अभिषेक करें। 3. घी का दीया : एकादशी तिथि पर पीपल में मीठा जल चढ़ाने तथा शाम के समय पीपल की जड़ में घी का दीया लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। 4. तुलसी पूजन : एकादशी के दिन सायं के समय तुलसी के सामने गाय के घी का दीपक जलाकर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' का जाप करते हुए तुलसी जी की 11 परिक्रमा करें, इस उपाय से घर के समस्त संकट और आने वाली परेशानियां भी दूर जाती हैं। 5. दान-पुण्‍य : एकादशी के दिन उपवास के पश्चात द्वादशी तिथि पर पारण से पूर्व ब्राह्मणों को मिठाई, दक्षिणा तथा गरीबों को खाद्य सामग्री देने के पश्चात ही खुद पारणा करना लाभकारी होता है। 6. जाप मंत्र : एकादशी के दिन सुबह घर की सफाई करके मुख्य द्वार पर हल्दीयुक्त जल या गंगा जल का छिड़काव करके मंत्र- 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' का 108 बार जाप करें। जाप में तुलसी की माला को उपयोग में लाएं। 7. स्थायी धन प्राप्ति : स्थायी धन की प्राप्ति के लिए पूजा स्थान में 11 गौमती चक्र रखकर स्फटिक की माला से 'श्री महालक्ष्म्यै श्रीयें नम:' मंत्र का 11 माला जाप करके उन्हें लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी में धन वाले स्थान पर रख दें। 8. रुपए का दान : इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र और रुपया-पैसे का दान अवश्य करना चाहिए। Fun88 Best Kabaddi Sites Play Now, Win Big! Put the Fun into Gaming at the Online Casino! वेस्‍टर्न मध्‍यप्रदेश की बात करें तो महू, बड़वाह, देवास, बागली, उदयनगर का जंगल जुड़ा हुआ है। ऐसे में वन्‍य जीवों का आना आम बात है। इन जंगलों में पानी है, शेल्‍टर है। हिंसक पशु केटल (गाय,भैंस बकरी) को आसान शिकार मानते हैं। बाघ इसलिए उनकी तलाश में आबादी वाले इलाके में आ जाते हैं। शिकार और अवैध कटाई भी मुख्‍य मुद्दा है।--अनिल नागर, रिटायर्ड आईएफएस

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अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। Best Cricket Betting Sites, किसी के मन की बात तुरंत समझने की आपमें दक्षता होती है। इस अंक से प्रभावित व्यक्ति अपने आप में कई विशेषता लिए होते हैं। आप पैनी नजर के होते हैं। शुभ दिनांक : 7, 16, 25 शुभ अंक : 7, 16, 25, 34 शुभ वर्ष : 2023 ईष्टदेव : भगवान शिव तथा विष्णु शुभ रंग : सफेद, पिंक, जामुनी, मेहरून कैसा रहेगा यह वर्ष नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए समय सुखकर रहेगा। नवीन कार्य-योजना शुरू करने से पहले केसर का लंबा तिलक लगाएं व मंदिर में पताका चढ़ाएं। आपके कार्य में तेजी का वातावरण रहेगा। आपको प्रत्येक कार्य में जुटकर ही सफलता मिलेगी। अधिकारी वर्ग का सहयोग मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति उत्तम रहेगी।

Bet Your Way to Big Wins! Fun88 Online Gambling Sites India आज विश्व पोहा दिवस है। भारत में हर साल 7 जून को विश्व पोहा दिवस मनाया जाता है। पोहा दिवस को ही विश्व पोहा दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन इसलिए विशेष रूप से मनाया जाता है क्योंकि पोहा खाने में स्वादिष्ट और हेल्दी दोनों हैं। अलग-अलग राज्यों में पोहे को भिन्न नाम से जाना जाता है। मप्र और महाराष्ट्र में इसे पोहे के नाम से जाना जाता है, तो कोई इसे पीटा चावल और चपटा चावल भी कहता है। बंगाल और असम में चीड़ा, तेलगु में अटुकुलू, गुजराती में पौआ के नाम से जाना जाता है। जी हां, पोहा बच्चों से लेकर बूढ़ें यानी हर उम्र के लोग खा सकते हैं। पोहे को जिस तरह से तेल रखकर छौंक लगाया जाता है, वह खाने के स्वाद को बढ़ा देता है। साथ ही इसे जितना सरल विधि से बनाते हैं यह उतना पौष्टिक होता है। वैसे तो पोहे के प्रसिद्धि को लेकर कई सारी कहानियां है। पोहा मुझे हमेशा उस क्यूट सीधे-साधे लड़के की तरह लगता है जो सबसे पहले तैयार होकर बैठ जाता है और जलेबी उस इतराती हुई लड़की की तरह लगती है जिसे अभी और तैयार होना बाकी है । जलेबी जब बलखाते हुए चाशनी की कढ़ाई से बाहर आती है तो जैसे पोहे की तो सांसे ही अटक जाती है । पोहा जानता है कि उसने हर सुबह कढ़ाई में पसरतें हुए जलेबी को चाशनी से बाहर आते हुए देखा है लेकिन हर बार उसका जलेबी को देखना 'पहली बार' देखने जितना रोमांचक होता है। चाशनी में लिपटी जलेबी और जीरावन भुरभुराया पोहा एक दूसरे को देखते हैं तो इशारों इशारों में बताते हैं कि वो कितने 'हॉट' लग रहे हैं । लिटरली भी । आलूबड़ा-समोसा किन्हीं शादीशुदा अधेडो़ की तरह आंखों के कोनों से नजरे चुरा चुरा कर जलेबी को ताड़ते हैं । और जलेबी जैसे बिना उन्हें भाव दिए अपनी ड्रेस ठीक करते हुए निकल जाती है । और फिर रात भर का 'पोहा जलेबी' का भूखा मालवावासी जब एक प्लेट पोहा और थोड़ी सी जलेबियां मांगता है तो जैसे पोहा जलेबी के मन की मुराद पूरी हो जाती है, उनके मिलन की बेला आ जाती है और थोड़ी ही देर में पोहे का जर्रा जर्रा जलेबी के बदन पर लिपटा हुआ पाया जाता है ।

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राजेश से शादी के बाद डिम्पल की 'बॉबी' रिलीज हुई और इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। रातों-रात डिम्पल सुपरस्टार बन गईं। युवा लड़के डिम्पल के दीवाने हो गए। 10 Cricket Bet 9 Com Login, वर्ष 2023 में आषाढ़ मास की संकष्‍टी गणेश चतुर्थी 7 जून को मनाई जा रही है। यह चतुर्थी कृष्णपिङ्गल या कृष्णपिंगाक्ष के नाम से जानी जाती है। इस बार यह चतुर्थी बुधवार को पड़ रही है। चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश की प्रिय होने के कारण इस दिन उनके खास मंत्रों का जाप किया जाता है। आइए यहां जानते हैं कथा और 12 मंत्रों के बारे में- आषाढ़ चतुर्थी कथा : Ashadh Sankashti Chaturthi Katha आषाढ़ चतुर्थी कथा के अनुसार द्वापर युग में महिष्मति नगरी का महीजित नामक राजा था। वह बड़ा ही पुण्यशील और प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा का पालन पुत्रवत करता था। किन्तु संतानविहीन होने के कारण उसे राजमहल का वैभव अच्छा नहीं लगता था। वेदों में निसंतान का जीवन व्यर्थ माना गया हैं। यदि संतानविहीन व्यक्ति अपने पितरों को जल दान देता हैं तो उसके पितृगण उस जल को गरम जल के रूप में ग्रहण करते हैं। इसी उहापोह में राजा का बहुत समय व्यतीत हो गया। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए बहुत से दान, यज्ञ आदि कार्य किए। फिर भी राज को पुत्रोत्पत्ति न हुई। जवानी ढल गई और बुढ़ापा आ गया किंतु वंश वृद्धि न हुई। तदनंतर राजा ने विद्वान ब्राह्मणों और प्रजाजनों से इस संदर्भ में परामर्श किया। राजा ने कहा कि हे ब्राह्मणों तथा प्रजाजनों! हम तो संतानहीन हो गए, अब मेरी क्या गति होगी? मैंने जीवन में तो किंचित भी पाप कर्म नहीं किया। मैंने कभी अत्याचार द्वारा धन संग्रह नहीं किया। मैंने तो सदैव प्रजा का पुत्रवत पालन किया तथा धर्माचरण द्वारा ही पृथ्वी शासन किया। मैंने चोर-डाकुओं को दंडित किया। इष्ट मित्रों के भोजन की व्यवस्था की, गौ, ब्राह्मणों का हित चिंतन करते हुए शिष्ट पुरुषों का आदर सत्कार किया। फिर भी मुझे अब तक पुत्र न होने का क्या कारण हैं? विद्वान् ब्राह्मणों ने कहा कि, हे महाराज! हम लोग वैसा ही प्रयत्न करेंगे जिससे आपके वंश कि वृद्धि हो। इस प्रकार कहकर सब लोग युक्ति सोचने लगे। सारी प्रजा राजा के मनोरथ की सिद्धि के लिए ब्राह्मणों के साथ वन में चली गई। वन में उन लोगों को एक श्रेष्ठ मुनि के दर्शन हुए। वे मुनिराज निराहार रहकर तपस्या में लीन थे। ब्रह्माजी के सामान वे आत्मजित, क्रोधजित तथा सनातन पुरुष थे। संपूर्ण वेद-विशारद एवं अनेक ब्रह्म ज्ञान संपन्न वे महात्मा थे। उनका निर्मल नाम लोमश ऋषि था। प्रत्येक कल्पांत में उनके एक-एक रोम पतित होते थे। इसलिए उनका नाम लोमश ऋषि पड़ गया। ऐसे त्रिकालदर्शी महर्षि लोमेश के उन लोगों ने दर्शन किए। सब लोग उन तेजस्वी मुनि के पास गए। उचित अभ्यर्थना एवं प्रणामदि के अनंतर सभी लोग उनके समक्ष खड़े हो गए। मुनि के दर्शन से सभी लोग प्रसन्न होकर परस्पर कहने लगे कि हम लोगों को सौभाग्य से ही ऐसे मुनि के दर्शन हुए। इनके उपदेश से हम सभी का मंगल होगा, ऐसा निश्चय कर उन लोगों ने मुनिराज से कहा। हे ब्रह्मऋषि! हम लोगों के दुःख का कारण सुनिए। अपने संदेह के निवारण के लिए हम लोग आपके पास आए हैं। हे भगवन! आप कोई उपाय बतलाइए। महर्षि लोमेश ने पूछा-सज्जनों! आप लोग यहां किस अभिप्राय से आए हैं? मुझसे आपका क्या प्रयोजन हैं? स्पष्ट रूप से कहिए। मैं आपके सभी संदेहों का निवारण करूंगा। प्रजाजनों ने उत्तर दिया- हे मुनिवर! हम महिष्मति नगरी के निवासी हैं। हमारे राजा का नाम महीजित है। वह राजा ब्राह्मणों का रक्षक, धर्मात्मा, दानवीर, शूरवीर एवं मधुरभाषी है। उस राजा ने हम लोगों का पालन पोषण किया है, परंतु ऐसे राज को आज तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई। हे भगवान्! माता-पिता तो केवल जन्मदाता ही होते हैं, किंतु राज ही वास्तव में पोषक एवं संवर्धक होता हैं। उसी राजा के निमित हम लोग ऐसे गहन वन में आए है। हे महर्षि! आप कोई ऐसी युक्ति बताइए जिससे राजा को संतान की प्राप्ति हो, क्योंकि ऐसे गुणवान राजा को कोई पुत्र न हो, यह बड़े दुर्भाग्य की बात हैं। हम लोग परस्पर विचार-विमर्श करके इस गंभीर वन में आए हैं। उनके सौभाग्य से ही हम लोगों ने आपका दर्शन किया हैं। हे मुनिवर! किस व्रत, दान, पूजन आदि अनुष्ठान कराने से राजा को पुत्र होगा। आप कृपा करके हम सभी को बतलाएं। प्रजा की बात सुनकर महर्षि लोमेश ने कहा- हे भक्तजनो! आप लोग ध्यानपूर्वक सुनो। मैं संकटनाशन व्रत को बता रहा हूं। यह व्रत निसंतान को संतान और निर्धनों को धन देता हैं। आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को ‘एकदंत गजानन’ नामक गणेश की पूजा करें। राजा व्रत करके श्रद्धायुक्त हो ब्राह्मण भोज करवाकर उन्हें वस्त्र दान करें। गणेश जी की कृपा से उन्हें अवश्य ही पुत्र की प्राप्ति होगी। महर्षि लोमश की यह बात सुनकर सभी लोग करबद्ध होकर उठ खड़े हुए। नतमस्तक होकर दंडवत प्रणाम करके सभी लोग नगर में लौट आए। वन में घटित सभी घटनाओं को प्रजाजनों ने राजा से बताया। प्रजाजनों की बात सुनकर राज बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्होंने श्रद्धापूर्वक विधिवत गणेश चतुर्थी का व्रत करके ब्राह्मणों को भोजन वस्त्रादि का दान दिया। रानी सुदक्षिणा को श्री गणेश जी कृपा से सुंदर और सुलक्षण पुत्र प्राप्त हुआ। यह व्रत श्रद्धापूर्वक करने वालों को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। श्री गणेश के 12 शुभ मंत्र : Chaturthi Ganesh Mantras 1. बीज मंत्र- 'गं' 2. ॐ गं गणपतये नमः 3. 'ॐ गं नमः' 4. ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा 5. गं क्षिप्रप्रसादनाय नम: 6. ॐ वक्रतुंडा हुं 7. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा। 8. एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् 9. ॐ गं गौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा 10. श्री गणेशाय नम: 11. ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा 12. वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा। अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

This image will haunt us for a long time.In this hour of grief, the least I can do is to take care of education of children of those who lost their life in this tragic accident. I offer such children free education at Sehwag International School’s boarding facility pic.twitter.com/b9DAuWEoTy— Virender Sehwag (@virendersehwag) June 4, 2023 Casino 3. तापमान रहता है कम: ग्रीन रूफ होने के कारण बिल्डिंग का तापमान कम रहता है। ग्रीन रूफ 50% सनलाइट को अब्सॉर्ब करती है। इस टेक्नोलॉजी के कारण ऐसी का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है।